भगवान की कथा ही कथा है बाकी सब व्यथा है.संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह सपना है. भोलेनाथ ने सती से कहा कि जीव की तीन प्रकार की अव्स्थायें होती हैं जागृत,स्वप्न और सुसुप्ता। उक्त बातें रंगमहल अयोध्या के तत्वाधान में प्राचीन हनुमान मंदिर पर चल रहे श्री राम कथा के सप्तम दिन विख्यात कथा वाचक चिन्मयानंद ने कही. उन्होंने कहा कि धन,परिवार सब कुछ होने के बाद भी यदि भक्ति नहीं है तो सब कुछ व्यर्थ है.ब्रह्म ही सत्य है बाकी सब मिथ्या है.मिथ्या का अर्थ क्षणिक है.जगत सास्वत नहीं है, मिथ्या है.ब्रह्म ही सास्वत हैं.साधु जागृत हैं उन्हें मिथ्या संसार का पता है.सत्य केवल और केवल ब्रह्म है. शरीर के अंदर सुक्ष्म शरीर होता है तथा उसके अंदर कारण शरीर होता है।17 तत्वों से सुक्ष्म शरीर का निर्माण होता है.उसी को जीव कहते हैं.जीव को जब बोध हो जाता है तब वह शरीर छोड़कर बाहर निकल जाता है।
महन्त श्री हरि सिद्ध शरण,रामदास जी,राजीव लोचन शरण दास,सिद्धन जी,विरेंद्र दास जी,निर्मल शरण जी, उद्धव शरण दास जी,रिषभ दास, अर्जुन दास धर्माचार्यों ने भक्तों को धर्मज्ञान दियाI कथा के दौरान डाॅ अनिल तिवारी,आलोक पांडेय,अनुप सिंह,सुधीर शुक्ल,राहुल दास,विवेक शुक्ल,अमित दुबे,निर्भय निनाद, श्यामनरायण दुबे,रंजीत रावत,आदि उपस्थित रहें।