गोरखपुर। लाॅकडाउन में बहुत से ऐसे युवा है जिन्होंने प्रधानमंत्री के आपदा में अवसर आहान से अपने लिए एक नई लाइन तैयार कर ली। बात कर रही है यूपी के गोरखपुर शहर के युवा शक्ति सिंह की। कोरोना काल में उन्होंने कबाड़ से ही एक तीन पहिया सवारी इलेक्ट्रिक गाड़ी बना दी और 50 हजार रुपए में इसे बेच भी दिया। गाड़ी को बनाने की लागत लगभग 35हजार रूपए आई है। अब उनकी योजना इसे व्यवसाय का रूप देने की है। इससे रोजगार भी सरजित होगा।
शक्ति सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई शहर के एक निजी स्कूल से की। 12वीं के बाद उन्होंने चंडीगढ़ से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और फिर 1 साल का इंजीनियरिंग कोर्स भी किया। परिवार के सदस्य शहर में ही पैडलेगंज से इलेक्ट्रिक गाड़ियों का व्यापार करते हैं। लेकिन शक्ति सिंह पढ़ाई के बाद नौकरी करना चाहते थे। शक्ति सिंह मार्च में अपने घर आए इसी बीच लॉक डाउन हो गया। फिर परिवार के सदस्यों ने बाहर जाने से मना किया और परिवारिक व्यवसाय में सहयोग करने को कहा। शक्ति सिंह ने बताया कि मई-जून के बीच थोड़ा बहुत काम शुरू हुआ था। लेकिन इसी बीच व्यापार नहीं होने की वजह से कर्मचारियों के वेतन के साथ साथ अन्य संकट भी खड़े हो गए। इसी दौरान शोरूम के स्टोररूम में उन्हें गाड़ियों का कबाड़ रखा दिखाई दिया। इससे उनके दिमाग में एक आईडिया क्लिक किया। उन्होंने एक-एक कर स्कैप जूटा कर गाड़ी बनानी शुरू की। डेढ़ महीने में तीन पहिया की गाड़ी बनाकर तैयार हो गई। गाड़ी में इलेक्ट्रिक के काम के लिए बाजार से सामान खरीदा गया। इसके अलावा सभी कामों में स्कैप का ही प्रयोग किया। एक बार बैटरी फुल चार्ज होने पर गाड़ी लगभग 60 किलोमीटर तक चलेगी। फुल चार्ज करने में 8 घंटे का समय लगेगा। गाड़ी बेहद मजबूत है और इसका वजन करीब 7 कुंतल है जबकि सामान्य गाड़ी का वजन 5 कुंतल तक होता है। गाड़ी को बनाने में स्कैप, टायर, डिस्क, ब्रेक, एलईडी लाइट, के साथ सीट व अन्य चीजें लगी है। करीब 12 हजार रुपए मूल्य का स्कैप और 23 हजार रुपए का अन्य सामान बाजार से खरीद कर लाया है। उन्होंने बताया कि पहले मेरे पिता एवं परिवार के लोगों ने इसे बनाने पर डाटा, लेकिन बाद में उन्होंने मेरी मदद की।