पितरों की पूजा व श्राद्ध नही करने से लगता है पितृदोष
By R.S. Dubey      
*पितरों की आत्मा के तर्पण का पर्व है पितृपक्ष: पं.आत्मा राम पांडेय*
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पितृ पक्ष भादो महीने के पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है। हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत ही महत्व है। पितृ पक्ष 16 दिनों तक रहता है। वाराणसी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं आत्माराम पांडेय "काशी" के अनुसार इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 01 सितंबर 2020 दिन-मंगलवार पूर्णिमा तिथि को 09 बजकर 39 मिनट से हो रहा है। इस दिन पहला श्राद्ध होगा। इस दिन होने वाले श्राद्ध को पूर्णिमा श्राद्ध कहा जाता है। अंतिम श्राद्ध यानी अमावस्या पितृ विसर्जन श्राद्ध 17 सितंबर 2020 को होगा।
पितृ पक्ष में हर कोई पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। साथ ही पितृ दोष से मुक्ति के लिए कई उपाय किये जाते हैं। माना जाता है कि जिनकी कुंडली में पितृ दोष रहता है, उनको जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में भी पितृ दोष से बचने के लिए कई उपाय बताएं गए हैं। आज हम आपको पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए कुछ उपाय बताएंगे। इन उपायों को पितृ पक्ष में करने से पितृ दोष से छुटकारा मिल जाता है। पितृपक्ष में सुबह और शाम को जब घर में रोटी बनाई जाती है तो घर में बनने वाली पहली रोटी गाय और कुत्ते के लिए अवश्य निकाल कर रख दें। पितृपक्ष के दिनों में सुबह शाम गाय और कुत्ते को रोटी खिलाने से पितृदोष से छुटकारा मिलता है।
सम्भव हो तो हर महीने अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान कर के पितरों के लिए तर्पण और धूप ध्यान जरूर करें। पितृपक्ष में हर दिन पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध अर्पित करें। साथ ही जल भी अर्पित करें। ऐसा करने से आपको अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा और आपकी कुंडली में मौजूद पितृ दोष दूर होंगे। पितृपक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करें और घर में गीता का पाठ करें।
पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का ये सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। बात अगर पितृदोष की करें तो व्यक्ति की कुंडली के नवम भाव को पूर्वजों का स्थान माना जाता है और नवग्रह में सूर्य स्पष्ट रूप से पूर्वजों के प्रतीक माने जाते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य बुरे ग्रहों के साथ विराजमान होते हैं या फिर सूर्य पर बुरे ग्रहों की दृष्टि पड़ रही होती है उस कुंडली में पितृदोष होता है।
*आइए जानते हैं किन लोगों की कुंडली में लगता है पितृदोष*
1-गरुड़ पुराण के अनुसार जिन परिवारों में लोग अपने पितरों की पूजा और श्राद्ध नहीं करते हैं, उन्हें पितृदोष लग जाता है।
2-पीपल के पेड़ पर पूर्वजों का वास माना जाता है। ऐसे में पीपल के पेड़ को काटने या फिर उसके नीचे अशुद्धि फैलाने से भी पितृदोष लगता है।
3-अगर पिता या माता की मृत्यु के बाद व्यक्ति दूसरे जीवित परिजन का अनादर करता है तो भी पितृदोष लगता है।
*पितृदोष की ऐसे करें पहचान*
- यदि व्यक्ति के घर में लगातार धन की कमी बनी रहती है तो उसकी कुंडली में पितृदोष हो सकता है।
-यदि घऱ के किसी व्यक्ति की शादी में बार-बार दिक्कतें आ रही हो तो भी उसकी कुंडली में पितृदोष हो सकता है।
-परिवार में हमेशा कलह का वातावरण बने रहना भी पितृदोष की तरफ इशारा करता है।
-यदि घर में हर समय कोई न कोई हमेशा बीमार बना रहता है तो भी घऱ में पितृ शांति के उपाय करने चाहिए।
*पितृ दोष दूर करने के लिए करें ये उपाय*
-यदि कोई व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित है तो इससे मुक्ति पाने के लिए उसे किसी भी अमावस्या, पूर्णिमा या पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ तृप्त होकर उस व्यक्ति को धन और सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं।
-इसके अलावा घर की महिलाएं रोजाना स्नान करने के बाद ही रसोई में भोजन बनाने के लिए जाएं। खाने की पहली रोटी गौ माता के लिए निकालकर उस पर गुड़ रखकर गाय को खिलाना चाहिए।
-इसके अलावा घर में पीने के पानी के स्थान को हमेशा साफ-सुथरा रखें। इसे पितरों का स्थान माना जाता है।
*पितृदोष मुक्ति के लिए इन मंत्रों का करें जाप*
मेष: ऊं आदित्याय नम:।
वृषभ: ऊं आदिदेव नम:।
मिथुन: ऊं अचला नम:।
कर्क: ऊं अनिरुद्ध नम:।
सिंह: ऊं ज्ञानेश्वर नम:।
कन्या: ऊं धर्माध्यक्ष नम:।
तुला: ऊं सत्यव्त नम:।
वृश्चिक: ऊं पार्थसारथी नम:।
धनु: ऊं बर्धमानय नम:।
मकर: ऊं अक्षरा नम:।
कुंभ: ऊं सहस्राकाश नम:।
मीन: ऊं आदिदेव नम:।